बेंगलुरु, 4 जुलाई . भारत में एथलेटिक्स को लेकर नीरज चोपड़ा के विजन की शुरूआत ‘नीरज चोपड़ा क्लासिक’ (एनसी क्लासिक) से होगी. शुक्रवार को यहां ‘जेवलिन थ्रो’ प्रतियोगिता से पहले टोक्यो ओलंपिक के स्वर्ण पदक विजेता चोपड़ा ने अपने उस सपने से रूबरू करवाया जहां एक मंच पर अंतरराष्ट्रीय और भारतीय एथलीट भारत में कंधे से कंधा मिलाकर प्रतिस्पर्धा कर सकें.
चोपड़ा न केवल एनसी क्लासिक के आयोजक हैं, बल्कि एक प्रतियोगी भी हैं. उन्होंने भारत में विश्व एथलेटिक्स ‘ए श्रेणी’ की प्रतियोगिता आयोजित करने के पीछे मुख्य उद्देश्य के बारे में बात करते हुए से कहा, “उद्देश्य यह है कि हमने पदक जीत लिए हैं, सब कुछ हो गया है. अब, हम जेवलिन को कैसे बढ़ा सकते हैं? हम एथलेटिक्स कैसे बढ़ा सकते हैं? इसलिए, किसी भी आयोजन के बारे में, मैं हमेशा कहता था कि मेरा एक बड़ा सपना है कि भारत में ऐसा कोई आयोजन हो जहां अंतरराष्ट्रीय एथलीट प्रतिस्पर्धा करें और हमारे भारतीय एथलीट भी उनके साथ खेलें. इसलिए यह हो रहा है.”
चोपड़ा ने कहा, “विश्व एथलेटिक्स, एएफआई और ब्रांड सभी तरफ से समर्थन दे रहे हैं. कर्नाटक सरकार ने बहुत समर्थन दिया है. मैं इसे लेकर बहुत खुश हूं. और जैसा कि आपने कहा, सभी विदेशी एथलीट आए हैं. इसलिए, मैं भारत में उनके साथ प्रतिस्पर्धा करने के लिए बहुत उत्साहित हूं.”
यह पूछे जाने पर कि 2036 ओलंपिक की मेजबानी की अपनी महत्वाकांक्षा को साकार करने के लिए भारत को क्या करने की आवश्यकता है. इस पर विश्व चैंपियन नीरज चोपड़ा ने डायमंड लीग जैसी प्रतिष्ठित वैश्विक प्रतियोगिताओं की मेजबानी के महत्व पर जोर दिया.
उन्होंने कहा, “मैं ‘कई वर्षों से टारगेट ओलंपिक पोडियम स्कीम में हूं और मुझे लगातार बहुत मदद मिल रही है. मैं बाहर भी प्रतिस्पर्धा करता हूं. मैं प्रशिक्षण लेता हूं. इसलिए, मुझे बहुत समर्थन मिल रहा है. साथ ही, मैं चाहता हूं कि इस तरह के आयोजन होते रहें. हमें यहां डायमंड लीग जैसे आयोजन लाने की कोशिश करनी चाहिए. क्योंकि यह एक बहुत ही प्रतिष्ठित आयोजन है. यह हर साल होता है. इसलिए, अगर ऐसा कुछ होता है, तो यह अपने आप में बहुत अच्छा होगा. इसलिए, यह शुरुआत है. इसलिए, हम इस बारे में सोच सकते हैं कि हम भविष्य में कुछ बड़ा कैसे कर सकते हैं.”
चोपड़ा ने मई में दोहा डायमंड लीग में 90.23 मीटर की दूरी तक जेवलिन फेंककर 90 मीटर क्लब में प्रवेश किया था. उन्होंने सभी परिस्थितियों में ध्यान केंद्रित रखा और आत्मविश्वास का परिचय दिया. उन्होंने कहा, “बिल्कुल भी कोई दबाव नहीं है. पहले भी मैंने हमेशा अपना 100 प्रतिशत ध्यान केंद्रित करके दिया है और अब भी मैं ऐसा ही करता हूं. मैं वास्तव में खुश हूं कि मैंने आखिरकार 90 मीटर का आंकड़ा पार कर लिया है.”
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डीकेएम/एएस
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