AC का फायदा एक लेकिन नुकसान बहुत से हैं, बेशक गर्मी के मौसम में Air Conditioner आपको ठंडी हवा देता है लेकिन एसी के आउटडोर यूनिट से बाहर की ओर निकलने वाली गर्म हवा पर्यावरण को गर्म कर रही है जिससे हर साल पारा बढ़ता जा रहा है. न केवल पर्यावरण बल्कि अब हाल ही में सामने आए एक नए सर्वे ने तो पैरों तले से जमीन ही खिसका दी, इस सर्वे में बताया गया है कि सड़क पर चल रही गाड़ी जितना प्रदूषण फैला रही है उतना ही प्रदूषण घर में लगा हुआ एसी भी फैला रहा है लेकिन 2035 तक एसी दोगुना ज्यादा प्रदूषण फैलाएंगे.
2035 तक दोगुना बढ़ जाएगा प्रदूषणसर्वे में बताया गया है कि 2030 तक एसी सबसे ज्यादा ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जित करने वाले उपकरण बन जाएंगे. सात शहरों के 3100 घरों में सर्वे किया गया है, सामने आए नतीजों से पता चला है कि हर साल 40 प्रतिशत घरों में एसी गैस रिफिल होती है और 2024 में रिफिलिंग गैस से होने वाला उत्सर्जन (एमिशन) 50 मिलियन टन कार्बन डाइऑक्साइड के बराबर था.
2024 में लगभग 32 मिलियन किलोग्राम (32,000 टन) रेफ्रिजरेंट (एसी गैस) को रिफिल किया गया है और जिस हिसाब से एसी की डिमांड बढ़ रही है उस हिसाब से 2035 तक यह बढ़कर 125,000 टन हो जाने की उम्मीद है.
AC फैला रहा कार जितना प्रदूषणपर्यावरण संबंधी मुद्दों पर काम करने वाले थिंक टैक, iFOREST (इंटरनेशनल फोरम फॉर एनवायरनमेंट, सस्टेनेबिलिटी एंड टेक्नोलॉजी) के मुख्य कार्यकारी अधिकारी चंद्र भूषण ने पूछा कि क्या हम एसी के कारण वातावरण पर पड़े रहे प्रभाव को कम करने के लिए एसी का सही ढंग से संचालन और रखरखाव कर रहे हैं? चंद्र भूषण ने कहा, भारत में अगर एक एसी को हर दो साल में रिफिल किया जाए तो वह एक यात्री कार जितना ही उत्सर्जन करता है, इसका मतलब एसी कार जितना ही नुकसान पहुंचा रहा है.
इन शहरों में सबसे ज्यादा पड़ती है गैस रिफिलिंग की जरूरतथिंक टैंक ने मुंबई, दिल्ली, कोलकाता, चेन्नई, अहमदाबाद, पुणे और जयपुर में हाई, मिडल और लो इनकम आय वर्ग के लोगों के बीच सर्वेक्षण किया. सर्वे के नतीजों से पता चलता है कि शहरीकरण, बढ़ती आय और बढ़ती गर्मी की वजह से भारत में एसी की डिमांड तेजी से बढ़ रही है. लगभग 80 फीसदी घरों में एसी पांच साल से कम पुराने हैं और 40 फीसदी घर ऐसे हैं जहां एसी दो साल से भी कम पुराने हैं.
लगभग 87 फीसदी घरों में सिर्फ एक एसी है जबकि 13 फीसदी घरों में दो से ज्यादा एसी हैं. दस में से आठ पांच साल से ज्यादा पुराने एसी को सालाना रिफिलिंग की जरूरत होती है और एक-तिहाई नई मशीनों को भी लीकेज के कारण इसकी गैस रिफिलिंग की जरूरत पड़ती है. यह समस्या ख़ास तौर पर जयपुर (88 फीसदी), दिल्ली (78 फीसदी), पुणे (81 फीसदी) और चेन्नई (73 फीसदी) जैसे बड़े शहरों में ज्यादा है.
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