आज के समय में थायराइड एक महत्वपूर्ण स्वास्थ्य समस्या बन गई है। यह ग्रंथि गर्दन के सामने स्थित होती है और इसका आकार तितली जैसा होता है।
गले में स्थित यह ग्रंथि थायरोक्सिन हार्मोन का उत्पादन करती है।
जब इस ग्रंथि से निकलने वाले थायरोक्सिन हार्मोन का संतुलन बिगड़ता है, तो शरीर में कई प्रकार की बीमारियों का सामना करना पड़ता है।
यदि थायरोक्सिन हार्मोन की मात्रा कम हो जाती है, तो मेटाबोलिज़्म तेज हो जाता है, जिससे शरीर की ऊर्जा जल्दी समाप्त हो जाती है।
इसके विपरीत, जब हार्मोन की मात्रा बढ़ जाती है, तो मेटाबोलिज़्म धीमा हो जाता है, जिससे शरीर थका हुआ और सुस्त महसूस करता है। थायराइड ग्रंथि का प्रभाव शरीर के विभिन्न हिस्सों पर पड़ता है।
थायराइड का प्रभाव और इसके प्रकार
थायराइड किसी भी उम्र के लोगों को प्रभावित कर सकता है। बच्चों में थायराइड की समस्या होने पर उनकी लंबाई कम हो सकती है और शरीर का विकास प्रभावित होता है।
महिलाओं पर इसका प्रभाव अक्सर स्पष्ट होता है। थायराइड की बीमारी जानलेवा नहीं होती, लेकिन यह जीवन को काफी कठिन बना देती है और व्यक्ति की उपस्थिति को भी प्रभावित करती है।
पुरुषों में भी थायराइड की समस्या बढ़ रही है, जिससे वजन में अचानक बदलाव आ सकता है।
आयुर्वेद में थायराइड को नियंत्रित करने के लिए कई प्रभावी उपाय बताए गए हैं, जिनमें से अधिकांश घरेलू उपचार हैं।
थायराइड के प्रकार और लक्षण
थायराइड से संबंधित आम समस्याओं में हाइपोथायराइडिज्म, हाइपरथायराइडिज्म, आयोडीन की कमी से होने वाले विकार जैसे गॉयटर, हाशिमोटो थायराइडिटिस और थायराइड कैंसर शामिल हैं।
थायराइड ग्रंथि से दो प्रमुख हार्मोन टी 3 और टी 4 का निर्माण होता है, जो शरीर के तापमान, मेटाबोलिज्म और हार्ट रेट को नियंत्रित करते हैं।
हाइपोथायराइडिज्म में हार्मोन का स्राव कम होता है, जबकि हाइपरथायराइडिज्म में हार्मोन की मात्रा अधिक होती है।
थायराइड के लक्षण
प्रतिरोधक क्षमता में कमी, थकावट, बालों का झड़ना, कब्ज, त्वचा का रूखापन, और वजन में अचानक बदलाव थायराइड के सामान्य लक्षण हैं।
इन लक्षणों के साथ-साथ हाथ-पैरों का ठंडा रहना भी एक संकेत हो सकता है कि व्यक्ति को थायराइड की समस्या है।
थायराइड के कारण
थायराइड की समस्या के कई कारण हो सकते हैं, जैसे अत्यधिक तनाव, धूम्रपान, सोया का सेवन, और डॉक्टर की सलाह की अनदेखी करना।
इसके अलावा, कार्बोहाइड्रेट्स का सेवन न करना और ग्लूटेन युक्त आहारों का अधिक सेवन भी थायराइड को बढ़ा सकता है।
घरेलू उपचार और आहार
निर्गुण्डी के पत्तों का रस थायराइड के लिए एक प्रभावी घरेलू उपाय है। इसके अलावा, रात को सोने से पहले लाल प्याज का उपयोग भी लाभकारी हो सकता है।
हाइपोथायराइडिज्म में आयोडीन युक्त खाद्य पदार्थों का सेवन फायदेमंद होता है, जबकि हाइपरथायराइडिज्म में हरी सब्जियों और साबुत अनाज का सेवन करना चाहिए।
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