भारत की स्वतंत्रता के बाद कई बार दंगे हुए हैं, जिनमें सिख विरोधी दंगे, मुंबई दंगे और गुजरात दंगे प्रमुख हैं। लेकिन, असम में 18 फरवरी 1983 को हुए नरसंहार की चर्चा कम होती है। इस घटना में बांग्लाभाषी मुसलमानों को निशाना बनाया गया था। अब सरकार इस नरसंहार की रिपोर्ट विधानसभा में पेश करने जा रही है। आइए जानते हैं कि नेल्ली नरसंहार क्या था, जब महज छह घंटे में हजारों मुसलमानों की हत्या कर दी गई थी।
असम की विविधता और संघर्ष
असम की पहचान उसके सुंदर पहाड़ों, उपजाऊ भूमि और प्राकृतिक संसाधनों से है, लेकिन यहां की सबसे बड़ी विशेषता इसकी विविध जनसंख्या है। यहां आहोम, बोडो, करबी, खासी जनजाति के लोग और बड़ी संख्या में बंगाली और बिहारी भी रहते हैं। विभिन्न परिस्थितियों में अलग-अलग पीढ़ियों के लोग असम में बसते गए हैं और समय के साथ उन्होंने असम की संस्कृति को अपनाया है।
हालांकि, जनसंख्या वृद्धि के साथ संसाधनों की कमी होने लगी। नई पीढ़ी में राजनीतिक आकांक्षाएं बढ़ने लगीं, जिसके कारण आदिवासी समूहों के युवा सशस्त्र आंदोलन की ओर बढ़ने लगे। ये समूह एक-दूसरे के खिलाफ संघर्षरत हो गए।
अवैध बांग्लादेशियों के खिलाफ आंदोलन असम आंदोलन का उदय
1979 से 1985 के बीच चले असम आंदोलन का उद्देश्य अवैध बांग्लादेशियों को खदेड़ना था। इस दौरान बांग्लाभाषियों के खिलाफ विरोध बढ़ा, क्योंकि कई दशकों से वे असम में बस गए थे। बांग्लादेश की सीमा के निकट होने के कारण घुसपैठियों की संख्या भी बढ़ी। यह आंदोलन अवैध बांग्लादेशी नागरिकों के खिलाफ था।
हिंसा की घटनाएं हिंसा का कारण
इस दौरान आरोप लगा कि बांग्लाभाषी मुसलमानों ने स्थानीय समुदाय की युवतियों का अपहरण किया और हत्या की। इसके बाद, 18 फरवरी 1983 को नेल्ली क्षेत्र में आदिवासियों ने बांग्लाभाषी मुसलमानों के गांवों को घेर लिया। इस हिंसा में 14 मुस्लिम बहुल गांवों को निशाना बनाया गया।
छह घंटे के भीतर दो हजार से अधिक मुसलमानों की हत्या कर दी गई, जबकि कुछ रिपोर्टों के अनुसार यह संख्या तीन हजार से अधिक हो सकती है।
स्थानीय पुलिस की भूमिका पुलिस की संलिप्तता
इस नरसंहार में स्थानीय पुलिस और सरकारी मशीनरी की संलिप्तता का आरोप लगा। जब सीआरपीएफ ने स्थिति को नियंत्रित किया, तब कई जीवित बचे लोगों ने बताया कि पुलिस ने सीआरपीएफ को यह समझाने की कोशिश की कि कोई हिंसा नहीं हुई।
न्याय की कमी सजा का अभाव
बीबीसी की रिपोर्ट के अनुसार, नेल्ली नरसंहार स्वतंत्र भारत का सबसे बड़ा नरसंहार था। सरकार ने मृतकों के परिजनों को मुआवजा दिया, लेकिन इस मामले में कोई भी सजा नहीं मिली। 688 आपराधिक मामले दर्ज किए गए, जिनमें से अधिकांश सबूतों के अभाव में बंद कर दिए गए।
You may also like

दिल्लीवालों घर से ट्रैफिक एडवाइजरी बढ़कर निकलें, आज शाम इन छठ घाटों के पास मिल सकता है भयंकर जाम

लखनऊ के रेलवे हॉस्पिटल में भीषण आग, CCU से 12 से ज्यादा मरीज सुरक्षित निकाले गए

सतीश शाह ने राज कपूर के बाद लगातार दी थीं दो हिट फिल्में, बनाया था ऐसा रिकॉर्ड कि तीनों खान पर पड़ गया भारी

दिल्ली की हवा फिर हुई जहरीली, AQI 300 के पार, बारिश से राहत की उम्मीद

नशे में धुत थानेदार ने पुलिस टीम की ऐसी-तैसी कर दी; जीप छीन लिया तो पैदल लौटे दारोगा, सिपाही!.




