भारत और अमेरिका के बीच ट्रेड डील को लेकर कई बार यह संभावनाएं जताई जा चुकी है कि दोनों देशों के बीच लगभग समझौता होने ही वाला है। लेकिन इस ट्रेड डील से जुड़े कई सवाल हैं। अमेरिका के द्वारा लगातार यह डिमांड की जा रही है कि भारत रूस से तेल खरीदना बंद कर दें। इसके साथ ही भारत का कृषि मार्केट भी अमेरिका के लिए खोल दिया जाए। अमेरिकी इथेनॉल और मक्के की खरीद की जाए।
कौन मानेगा बात? हाल ही में यह दावा किया जा रहा है कि दोनों देशों के बीच में ट्रेड डील लगभग होने वाले हैं। तो क्या भारत ने अमेरिका की सभी शर्तों को मान लिया है। या फिर अमेरिका के द्वारा भारत की शर्तों को माना गया है। क्योंकि भारत हमेशा से ही यह कहता आया है कि वह अपने राष्ट्रीय हितों को ध्यान में रखकर ट्रेड डील करता है। भारत सरकार के द्वारा पहले भी यह कहा जा चुका है कि रूस से तेल में राष्ट्रहित के अंतर्गत खरीद रहे हैं इसीलिए वैसे बंद नहीं कर रहे हैं। वहीं जर्मनी में भी कॉमर्स मिनिस्टर पीयूष गोयल यह साफ कह चुके हैं की बंदूक की नोक पर ट्रेड डील नहीं हो सकती है और राष्ट्रीय हितों को पहले रखा जाएगा।
सुलझ गए हैं मामले हाल ही में सामने आई कुछ रिपोर्टर्स में यह कहा जा रहा है कि अमेरिका और भारत के बीच अधिकतम मामलों को सुलझाया जा चुका है जिसके बाद अब दोनों देश ट्रेड डील के करीब पहुंच चुके हैं। संभावना जताई जा रही है कि नवंबर महीने तक ट्रेड डील पर साइन हो सकते हैं। दोनों देशों के बीच द्वीपक्षीय व्यापार इस समझौते डोनाल्ड ट्रंप ने राष्ट्रपति पद संभालने के बाद किया था। तब से दोनों देशों के बीच में कई बार वार्ता हुई लेकिन ट्रेड डील पर साइन नहीं हो सका।
भारतीय निर्यात में कमी अमेरिकी सरकार के द्वारा भारत पर 50% का भारी टैरिफ लगाया गया है। जिसमें से 25% का टैरिफ रूस से तेल खरीदने के कारण लगा है। टैरिफ़ के कारण भारतीय सामान अमेरिका में महंगे हो गए हैं जिसके कारण निर्यात में कमी आ रही है। तो क्या भारत अब निर्यात बढ़ाने के लिए अमेरिका की शर्तों को मानकर ट्रेड डील पर साइन करेगा? अमेरिकी प्रशासन के द्वारा भारत की शर्तों को माना जाएगा?
दबाव में नहीं करेगा भारत काम जहां एक तरफ भारत और अमेरिका के बीच ट्रेड डील को लेकर बातचीत चल रही है वहीं दूसरी तरफ भारत ने अपना रुख साफ कर दिया है और यह कह दिया है कि भारत किसी भी दबाव में आकर ट्रेड डिटेल पर साइन नहीं करेगा। व्यापार समझौता देश हित में और बहुत ही सोच समझ कर किया जाएगा।
कौन मानेगा बात? हाल ही में यह दावा किया जा रहा है कि दोनों देशों के बीच में ट्रेड डील लगभग होने वाले हैं। तो क्या भारत ने अमेरिका की सभी शर्तों को मान लिया है। या फिर अमेरिका के द्वारा भारत की शर्तों को माना गया है। क्योंकि भारत हमेशा से ही यह कहता आया है कि वह अपने राष्ट्रीय हितों को ध्यान में रखकर ट्रेड डील करता है। भारत सरकार के द्वारा पहले भी यह कहा जा चुका है कि रूस से तेल में राष्ट्रहित के अंतर्गत खरीद रहे हैं इसीलिए वैसे बंद नहीं कर रहे हैं। वहीं जर्मनी में भी कॉमर्स मिनिस्टर पीयूष गोयल यह साफ कह चुके हैं की बंदूक की नोक पर ट्रेड डील नहीं हो सकती है और राष्ट्रीय हितों को पहले रखा जाएगा।
सुलझ गए हैं मामले हाल ही में सामने आई कुछ रिपोर्टर्स में यह कहा जा रहा है कि अमेरिका और भारत के बीच अधिकतम मामलों को सुलझाया जा चुका है जिसके बाद अब दोनों देश ट्रेड डील के करीब पहुंच चुके हैं। संभावना जताई जा रही है कि नवंबर महीने तक ट्रेड डील पर साइन हो सकते हैं। दोनों देशों के बीच द्वीपक्षीय व्यापार इस समझौते डोनाल्ड ट्रंप ने राष्ट्रपति पद संभालने के बाद किया था। तब से दोनों देशों के बीच में कई बार वार्ता हुई लेकिन ट्रेड डील पर साइन नहीं हो सका।
भारतीय निर्यात में कमी अमेरिकी सरकार के द्वारा भारत पर 50% का भारी टैरिफ लगाया गया है। जिसमें से 25% का टैरिफ रूस से तेल खरीदने के कारण लगा है। टैरिफ़ के कारण भारतीय सामान अमेरिका में महंगे हो गए हैं जिसके कारण निर्यात में कमी आ रही है। तो क्या भारत अब निर्यात बढ़ाने के लिए अमेरिका की शर्तों को मानकर ट्रेड डील पर साइन करेगा? अमेरिकी प्रशासन के द्वारा भारत की शर्तों को माना जाएगा?
दबाव में नहीं करेगा भारत काम जहां एक तरफ भारत और अमेरिका के बीच ट्रेड डील को लेकर बातचीत चल रही है वहीं दूसरी तरफ भारत ने अपना रुख साफ कर दिया है और यह कह दिया है कि भारत किसी भी दबाव में आकर ट्रेड डिटेल पर साइन नहीं करेगा। व्यापार समझौता देश हित में और बहुत ही सोच समझ कर किया जाएगा।
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