जब भारत में फैशन की अवधारणा अपने शुरुआती दौर में थी, तब कोलकाता के एक छोटे से स्टूडियो में दो टेबल और कुछ हैंड-ब्लॉक प्रिंट्स के साथ एक महिला ने एक क्रांति की शुरुआत की. उनका सफर आज 10 अरब रुपये के साम्राज्य तक पहुंच चुका है. जरदोजी, एम्ब्रॉयडरी और प्राकृतिक कपड़ों के साथ उन्होंने परंपरा को आधुनिकता से जोड़ा, और दुनिया को भारतीय संस्कृति का नया रंग दिखाया. प्रियंका चोपड़ा से लेकर राजकुमारी डायना तक, उनके डिजाइनों ने दुनिया को मोहित किया. हम बात कर रहे हैं रितु कुमार की. जिन्होंने न केवल फैशन की दुनिया बदली, बल्कि सैकड़ों कारीगरों को नया जीवन भी दिया. चलिए एक ऐसी महिला की सफलता की कहानी जानते हैं, जिसने परंपरा और आधुनिकता का अनूठा मेल रचा.
रितु कुमार, भारतीय फैशन उद्योग की एक ऐसी शख्सियत हैं, जिन्होंने न केवल भारतीय शिल्प और पारंपरिक वस्त्रों को वैश्विक मंच पर पहचान दिलाई, बल्कि एक महिला उद्यमी के रूप में अपनी मेहनत और कला से सफलता की नई परिभाषा गढ़ी.
साधारण शुरुआत से असाधारण सफलता तक की कहानी पंजाब के अमृतसर में एक मध्यमवर्गीय परिवार में 11 नवंबर 1944 को रितु कुमार का जन्म हुआ. उन्होंने दिल्ली के लेडी इर्विन कॉलेज से ग्रेजुएशन पूरा किया. इसके बाद, उन्होंने न्यूयॉर्क के ब्रायर्क्लिफ कॉलेज में आर्ट हिस्ट्री की पढ़ाई की और कोलकाता के अशुतोष म्यूजियम ऑफ इंडियन आर्ट में म्यूजियोलॉजी की पढ़ाई की.
1960 के दशक में जब भारत में फैशन उद्योग की अवधारणा न के बराबर थी उस वक़्त रितु ने आने वाले समय को पहचाना और कोलकाता की छोटी गलियों में केवल दो टेबल और कुछ हैंड ब्लॉक्स के साथ अपने छोटे से कारोबार की शुरुआत की. उनकी पहली प्रदर्शनी कोलकाता के होटल पार्क में आयोजित हुई, जिसे जबरदस्त सफलता मिली. इसके बाद, उन्होंने भारत में पहला रिटेल स्टोर खोला और बुटीक संस्कृति को जन्म दिया, जो उस समय भारत में एक नई अवधारणा थी. उन्हें भारत में बुटीक कल्चर की शुरुआत करने का श्रेय दिया जाता है.
भारतीय शिल्प को वैश्विक मंच पर ले जाने वाली रितु कुमार ने भारतीय पारंपरिक वस्त्रों और शिल्प कौशल में फिर से जान डालने का बीड़ा उठाया. उन्होंने भारतीय और पश्चिमी शैली का ऐसा अनूठा मिश्रण प्रस्तुत किया, जो न केवल भारतीय ग्राहकों को आकर्षित करता है, बल्कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में भी सराहा जाता है. उनके डिजाइन देश-विदेश की कई हस्तियाँ पहन चुकी हैं.
रितु कुमार ने 1960 और 70 के दशक में ब्राइडल और इवनिंग गाउन का कलेक्शन शुरू किया. उन्होंने अपने ब्रांड को अंतरराष्ट्रीय बाजार में ले जाकर लंदन, पेरिस और न्यूयॉर्क जैसे शहरों में भी ब्रांच शुरू की. उस समय फ़ैशन अपने आप में एक बड़ी चुनौती थी. इसलिए उन्हें काफ़ी आलोचनाओं का सामना भी करना पड़ा. साल 1999 में रितु ने कॉस्ट्यूम्स एंड टेक्सटाइल्स ऑफ़ रॉयल इंडिया" नामक एक किताब लिखी. साल 2020 में उन्होंने अपने बेटे अमरीश के साथ मिलकर "लेबल" लाइन लॉन्च किया.
उनके कपड़ों को न केवल भारतीय हस्तियां जैसे माधुरी दीक्षित नेने, प्रियंका चोपड़ा, लारा दत्ता और दीपिका पादुकोण ने पहना, बल्कि अंतरराष्ट्रीय हस्तियों जैसे दिवंगत राजकुमारी डायना, मिशा बार्टन और अनुष्का शंकर ने भी उनके डिजाइनों को सराहा. रितु कुमार केवल उच्च वर्ग के लिए ही नहीं बल्कि मध्यम वर्ग के लिए भी कई डिजाइन बनाती हैं.
2021 में रिलायंस रिटेल ने रितिका प्राइवेट लिमिटेड में 52% हिस्सेदारी खरीदकर उनके ब्रांड को और मजबूती प्रदान की. जिसके बाद उनका व्यवसाय नई ऊंचाइयों तक पहुंचा.
रितु कुमार के पुरस्कार और सम्मान
- साल 1998 में उन्हें पीएचडीसीसी द्वारा आउटस्टैंडिंग महिला उद्यमी अवार्ड मिल चुका है.
- साल 2000 में उन्हें किंगफिशर ग्रुप ऑफ इंडस्ट्रीज द्वारा लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड मिला.
- साल 2012 में, उन्हें लोरियल पेरिस फेमिना महिला पुरस्कार में अचीवमेंट अवार्ड मिला.
- साल 2013 में भारत सरकार द्वारा पद्मश्री से सम्मानित किया गया.
- 2013 में, उन्हें एसोचैम लेडीज़ लीग द्वारा फैशन रिटेल में उत्कृष्टता के लिए दिल्ली वूमेन ऑफ द डिकेड अचीवर्स अवार्ड मिला.
रितु कुमार की कहानी केवल एक फैशन डिजाइनर की नहीं, बल्कि एक ऐसी महिला उद्यमी की है, जिसने पुरुष-प्रधान समाज में अपनी जगह बनाई. उन्होंने न केवल फैशन उद्योग में क्रांति लाई, बल्कि सैकड़ों कारीगरों को रोजगार प्रदान कर भारतीय शिल्प को जीवित रखने में योगदान दिया. उनकी कंपनी, रितिका प्राइवेट लिमिटेड, आज भारत के सबसे बड़े और सम्मानित डिजाइनर-वेयर ब्रांड्स में से एक है. उनका वार्षिक कारोबार लगभग 10 अरब रुपये से अधिक हो चुका है.
रितु कुमार की कहानी हर उस महिला के लिए प्रेरणा है, जो अपने सपनों को सच करने का साहस रखती है.
रितु कुमार, भारतीय फैशन उद्योग की एक ऐसी शख्सियत हैं, जिन्होंने न केवल भारतीय शिल्प और पारंपरिक वस्त्रों को वैश्विक मंच पर पहचान दिलाई, बल्कि एक महिला उद्यमी के रूप में अपनी मेहनत और कला से सफलता की नई परिभाषा गढ़ी.
साधारण शुरुआत से असाधारण सफलता तक की कहानी पंजाब के अमृतसर में एक मध्यमवर्गीय परिवार में 11 नवंबर 1944 को रितु कुमार का जन्म हुआ. उन्होंने दिल्ली के लेडी इर्विन कॉलेज से ग्रेजुएशन पूरा किया. इसके बाद, उन्होंने न्यूयॉर्क के ब्रायर्क्लिफ कॉलेज में आर्ट हिस्ट्री की पढ़ाई की और कोलकाता के अशुतोष म्यूजियम ऑफ इंडियन आर्ट में म्यूजियोलॉजी की पढ़ाई की.
1960 के दशक में जब भारत में फैशन उद्योग की अवधारणा न के बराबर थी उस वक़्त रितु ने आने वाले समय को पहचाना और कोलकाता की छोटी गलियों में केवल दो टेबल और कुछ हैंड ब्लॉक्स के साथ अपने छोटे से कारोबार की शुरुआत की. उनकी पहली प्रदर्शनी कोलकाता के होटल पार्क में आयोजित हुई, जिसे जबरदस्त सफलता मिली. इसके बाद, उन्होंने भारत में पहला रिटेल स्टोर खोला और बुटीक संस्कृति को जन्म दिया, जो उस समय भारत में एक नई अवधारणा थी. उन्हें भारत में बुटीक कल्चर की शुरुआत करने का श्रेय दिया जाता है.
भारतीय शिल्प को वैश्विक मंच पर ले जाने वाली रितु कुमार ने भारतीय पारंपरिक वस्त्रों और शिल्प कौशल में फिर से जान डालने का बीड़ा उठाया. उन्होंने भारतीय और पश्चिमी शैली का ऐसा अनूठा मिश्रण प्रस्तुत किया, जो न केवल भारतीय ग्राहकों को आकर्षित करता है, बल्कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में भी सराहा जाता है. उनके डिजाइन देश-विदेश की कई हस्तियाँ पहन चुकी हैं.
रितु कुमार ने 1960 और 70 के दशक में ब्राइडल और इवनिंग गाउन का कलेक्शन शुरू किया. उन्होंने अपने ब्रांड को अंतरराष्ट्रीय बाजार में ले जाकर लंदन, पेरिस और न्यूयॉर्क जैसे शहरों में भी ब्रांच शुरू की. उस समय फ़ैशन अपने आप में एक बड़ी चुनौती थी. इसलिए उन्हें काफ़ी आलोचनाओं का सामना भी करना पड़ा. साल 1999 में रितु ने कॉस्ट्यूम्स एंड टेक्सटाइल्स ऑफ़ रॉयल इंडिया" नामक एक किताब लिखी. साल 2020 में उन्होंने अपने बेटे अमरीश के साथ मिलकर "लेबल" लाइन लॉन्च किया.
उनके कपड़ों को न केवल भारतीय हस्तियां जैसे माधुरी दीक्षित नेने, प्रियंका चोपड़ा, लारा दत्ता और दीपिका पादुकोण ने पहना, बल्कि अंतरराष्ट्रीय हस्तियों जैसे दिवंगत राजकुमारी डायना, मिशा बार्टन और अनुष्का शंकर ने भी उनके डिजाइनों को सराहा. रितु कुमार केवल उच्च वर्ग के लिए ही नहीं बल्कि मध्यम वर्ग के लिए भी कई डिजाइन बनाती हैं.
2021 में रिलायंस रिटेल ने रितिका प्राइवेट लिमिटेड में 52% हिस्सेदारी खरीदकर उनके ब्रांड को और मजबूती प्रदान की. जिसके बाद उनका व्यवसाय नई ऊंचाइयों तक पहुंचा.
रितु कुमार के पुरस्कार और सम्मान
- साल 1998 में उन्हें पीएचडीसीसी द्वारा आउटस्टैंडिंग महिला उद्यमी अवार्ड मिल चुका है.
- साल 2000 में उन्हें किंगफिशर ग्रुप ऑफ इंडस्ट्रीज द्वारा लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड मिला.
- साल 2012 में, उन्हें लोरियल पेरिस फेमिना महिला पुरस्कार में अचीवमेंट अवार्ड मिला.
- साल 2013 में भारत सरकार द्वारा पद्मश्री से सम्मानित किया गया.
- 2013 में, उन्हें एसोचैम लेडीज़ लीग द्वारा फैशन रिटेल में उत्कृष्टता के लिए दिल्ली वूमेन ऑफ द डिकेड अचीवर्स अवार्ड मिला.
रितु कुमार की कहानी केवल एक फैशन डिजाइनर की नहीं, बल्कि एक ऐसी महिला उद्यमी की है, जिसने पुरुष-प्रधान समाज में अपनी जगह बनाई. उन्होंने न केवल फैशन उद्योग में क्रांति लाई, बल्कि सैकड़ों कारीगरों को रोजगार प्रदान कर भारतीय शिल्प को जीवित रखने में योगदान दिया. उनकी कंपनी, रितिका प्राइवेट लिमिटेड, आज भारत के सबसे बड़े और सम्मानित डिजाइनर-वेयर ब्रांड्स में से एक है. उनका वार्षिक कारोबार लगभग 10 अरब रुपये से अधिक हो चुका है.
रितु कुमार की कहानी हर उस महिला के लिए प्रेरणा है, जो अपने सपनों को सच करने का साहस रखती है.
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