भारत की महिलाएं आज हर क्षेत्र में कमाल कर रही हैं. चाहे गांव की पगडंडियां हों या मुंबई की चमक, महिलाएं हर जगह अपनी छाप छोड़ रही हैं. इनमें से एक हैं देविता सराफ, जो महिला उद्यमिता का प्रतीक बन चुकी हैं. देश में जब बात प्रेरणादायक व्यक्तित्व और असाधारण उपलब्धियों वाली महिलाओं की आती है, तो देविता सराफ का नाम भारतीय कारोबारी जगत में एक चमकते सितारे की तरह उभरता है. उन्होंने केवल 24 साल की उम्र में वू टेलीविजंस की शुरुआत की और 3000 करोड़ रुपये से ज्यादा का टेक साम्राज्य बनाया. उनकी कहानी हर उस महिला के लिए प्रेरणा है, जो अपने सपनों को उड़ान देना चाहती है.
कारोबारी परिवार से ताल्लुक देविता सराफ का जन्म 25 जून 1981 को मुंबई में एक मारवाड़ी परिवार में हुआ, जो पहले से ही कारोबारी दुनिया में अपनी पहचान रखता था. उनके पिता, राजकुमार सराफ, जेनिथ कंप्यूटर्स के चेयरमैन थे, जो उस समय कंप्यूटर निर्माण के क्षेत्र में एक अग्रणी कंपनी थी. कारोबारी परिवार में पाली बड़ी देवता बचपन से ही अपने पिता के साथ कंपनी में समय बिताती थीं. यहीं से बिजनेस में उनकी गहरी समझ और रुचि विकसित होनी शुरू हुई. ऐसे कई कारोबारी घराने हैं जहां बच्चे अपने परिवार का बिजनेस ही आगे बढ़ते हैं, लेकिन, देविता का सपना केवल अपने पिता की विरासत को आगे बढ़ाने तक सीमित नहीं था, वह कुछ नया और अनोखा करना चाहती थीं.
शिक्षा ने सोच को बनाया व्यापक देविता ने अपनी शिक्षा अमेरिका की यूनिवर्सिटी ऑफ सदर्न कैलिफोर्निया (USC) से पूरी की और बाद में हार्वर्ड बिजनेस स्कूल से ऑनलाइन प्रोग्राम मैनेजमेंट का कोर्स किया. उनकी पढ़ाई से उनकी सोच और व्यापक हुई जिसका असर उनके भविष्य के फैसलों में भी देखा गया.
वू टेलीविजंस की शुरुआतपढ़ाई के बाद देवता ने अपने पिता का बिजनेस ज्वाइन कर लिया. साल 2006 में, जब देविता केवल 24 साल की थीं, उन्होंने वू टेलीविजंस की स्थापना की. उस समय भारत में स्मार्ट टीवी और प्रीमियम टेलीविजन का बाजार अभी अपने शुरुआती दौर में था. लोगों को नई तकनीक के लिए राजी करना और बाजार में अपनी जगह बनाना आसान नहीं था. लेकिन, देविता इस इंडस्ट्री के भविष्य को अच्छी तरह से समझ चुकी थी. इसलिए उन्होंने टीवी और कंप्यूटर के फीचर्स को मिलाकर एक ऐसा एडवांस्ड टीवी बनाया, जिसमें यूट्यूब, ओटीटी प्लेटफॉर्म्स और डी2एच चैनलों का मजा लिया जा सकता था.
84 इंच का टीवी लॉन्च कर सभी को चौंकाया देवीता ने साल 2012 में वू टेलीविजंस ने 84 इंच का टीवी लॉन्च किया, जो भारतीय प्रौद्योगिकी बाजार में एक मील का पत्थर साबित हुआ. यह टीवी और कंप्यूटर दोनों के रूप में काम करता था.
सफलता की राह में कम नहीं थी मुश्किलें कारोबारी घराने से होने के बावजूद देविता का सफलता का सफऱ आसान नहीं था. शुरुआती दौर में उन्हें कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा. उस समय स्मार्ट टीवी की सोच नई थी, और ग्राहकों को इसके लिए तैयार करना एक बड़ा चैलेंज था. लेकिन, देविता की कंपनी ने बेहतरीन टेक्नोलॉजी और ग्राहक सेवा पर ध्यान केंद्रित किया, जिसके चलते वू टेलीविजंस धीरे-धीरे भारतीय घरों की पसंद बन गया.
उपलब्धियां और सम्मान
देविता सराफ की मेहनत और प्रतिभा ने उन्हें कई सम्मान दिलाए. - साल 2019 में फॉर्च्यून मैगजीन ने उन्हें भारत की 50 सबसे ताकतवर महिलाओं की सूची में शामिल किया.
- 2024 में हुरुन इंडिया की रिपोर्ट ने उन्हें 3000 करोड़ रुपये की संपत्ति के साथ देश की सबसे अमीर सेल्फ-मेड महिला उद्यमी घोषित किया.
देविता न केवल एक सफल बिजनेसवुमन हैं, बल्कि वह मेन्सा सोसाइटी की सदस्य भी हैं, जो दुनिया की सबसे पुरानी और प्रतिष्ठित हाई-IQ सोसाइटी है.
देविता सराफ की कहानी सिर्फ एक बिजनेस की सफलता की कहानी नहीं है, बल्कि यह सपनों को सच करने की हिम्मत और मेहनत की कहानी है. उनके पिता की कंपनी में मार्केटिंग डायरेक्टर के रूप में 21 साल की उम्र में काम शुरू करने से लेकर एक 3000 करोड़ रुपये का साम्राज्य खड़ा करने तक, देविता ने हर कदम पर यह दिखाया कि सफलता के लिए धैर्य और निरंतर प्रयास जरूरी हैं.
देविता सराफ ने न केवल अपने परिवार की कारोबारी विरासत को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया, बल्कि अपनी मेहनत और नवाचार से एक ऐसी कंपनी बनाई जो आज भारतीय घरों में तकनीक का पर्याय बन चुकी है.
कारोबारी परिवार से ताल्लुक देविता सराफ का जन्म 25 जून 1981 को मुंबई में एक मारवाड़ी परिवार में हुआ, जो पहले से ही कारोबारी दुनिया में अपनी पहचान रखता था. उनके पिता, राजकुमार सराफ, जेनिथ कंप्यूटर्स के चेयरमैन थे, जो उस समय कंप्यूटर निर्माण के क्षेत्र में एक अग्रणी कंपनी थी. कारोबारी परिवार में पाली बड़ी देवता बचपन से ही अपने पिता के साथ कंपनी में समय बिताती थीं. यहीं से बिजनेस में उनकी गहरी समझ और रुचि विकसित होनी शुरू हुई. ऐसे कई कारोबारी घराने हैं जहां बच्चे अपने परिवार का बिजनेस ही आगे बढ़ते हैं, लेकिन, देविता का सपना केवल अपने पिता की विरासत को आगे बढ़ाने तक सीमित नहीं था, वह कुछ नया और अनोखा करना चाहती थीं.
शिक्षा ने सोच को बनाया व्यापक देविता ने अपनी शिक्षा अमेरिका की यूनिवर्सिटी ऑफ सदर्न कैलिफोर्निया (USC) से पूरी की और बाद में हार्वर्ड बिजनेस स्कूल से ऑनलाइन प्रोग्राम मैनेजमेंट का कोर्स किया. उनकी पढ़ाई से उनकी सोच और व्यापक हुई जिसका असर उनके भविष्य के फैसलों में भी देखा गया.
वू टेलीविजंस की शुरुआतपढ़ाई के बाद देवता ने अपने पिता का बिजनेस ज्वाइन कर लिया. साल 2006 में, जब देविता केवल 24 साल की थीं, उन्होंने वू टेलीविजंस की स्थापना की. उस समय भारत में स्मार्ट टीवी और प्रीमियम टेलीविजन का बाजार अभी अपने शुरुआती दौर में था. लोगों को नई तकनीक के लिए राजी करना और बाजार में अपनी जगह बनाना आसान नहीं था. लेकिन, देविता इस इंडस्ट्री के भविष्य को अच्छी तरह से समझ चुकी थी. इसलिए उन्होंने टीवी और कंप्यूटर के फीचर्स को मिलाकर एक ऐसा एडवांस्ड टीवी बनाया, जिसमें यूट्यूब, ओटीटी प्लेटफॉर्म्स और डी2एच चैनलों का मजा लिया जा सकता था.
84 इंच का टीवी लॉन्च कर सभी को चौंकाया देवीता ने साल 2012 में वू टेलीविजंस ने 84 इंच का टीवी लॉन्च किया, जो भारतीय प्रौद्योगिकी बाजार में एक मील का पत्थर साबित हुआ. यह टीवी और कंप्यूटर दोनों के रूप में काम करता था.
सफलता की राह में कम नहीं थी मुश्किलें कारोबारी घराने से होने के बावजूद देविता का सफलता का सफऱ आसान नहीं था. शुरुआती दौर में उन्हें कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा. उस समय स्मार्ट टीवी की सोच नई थी, और ग्राहकों को इसके लिए तैयार करना एक बड़ा चैलेंज था. लेकिन, देविता की कंपनी ने बेहतरीन टेक्नोलॉजी और ग्राहक सेवा पर ध्यान केंद्रित किया, जिसके चलते वू टेलीविजंस धीरे-धीरे भारतीय घरों की पसंद बन गया.
उपलब्धियां और सम्मान
देविता सराफ की मेहनत और प्रतिभा ने उन्हें कई सम्मान दिलाए. - साल 2019 में फॉर्च्यून मैगजीन ने उन्हें भारत की 50 सबसे ताकतवर महिलाओं की सूची में शामिल किया.
- 2024 में हुरुन इंडिया की रिपोर्ट ने उन्हें 3000 करोड़ रुपये की संपत्ति के साथ देश की सबसे अमीर सेल्फ-मेड महिला उद्यमी घोषित किया.
देविता न केवल एक सफल बिजनेसवुमन हैं, बल्कि वह मेन्सा सोसाइटी की सदस्य भी हैं, जो दुनिया की सबसे पुरानी और प्रतिष्ठित हाई-IQ सोसाइटी है.
देविता सराफ की कहानी सिर्फ एक बिजनेस की सफलता की कहानी नहीं है, बल्कि यह सपनों को सच करने की हिम्मत और मेहनत की कहानी है. उनके पिता की कंपनी में मार्केटिंग डायरेक्टर के रूप में 21 साल की उम्र में काम शुरू करने से लेकर एक 3000 करोड़ रुपये का साम्राज्य खड़ा करने तक, देविता ने हर कदम पर यह दिखाया कि सफलता के लिए धैर्य और निरंतर प्रयास जरूरी हैं.
देविता सराफ ने न केवल अपने परिवार की कारोबारी विरासत को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया, बल्कि अपनी मेहनत और नवाचार से एक ऐसी कंपनी बनाई जो आज भारतीय घरों में तकनीक का पर्याय बन चुकी है.
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