पहलगाम में हुए आतंकी हमले से हर भारतीय आहत है. इस हमले में 26 लोगों की जान गई थी और कई घायल हुए थे. बेकसूरों की जान लेने से लोगों में रोष है और सभी अपने-अपने तरीके से इस निंदनीय घटना के प्रति अपना विरोध जाहिर कर रहे हैं. भारतीय मीडिया कंपनियों ने भी कड़ा कदम उठाते हुए पाकिस्तानी क्रिकेट और एंटरटेनमेंट कंटेंट से पूरी तरह दूरी बना ली है. सोनी पिक्चर्स नेटवर्क्स इंडिया और ड्रीम स्पोर्ट्स की फैनकोड पाकिस्तान सुपर लीग (PSL) का प्रसारण बंद कर दिया है. ये दोनों कंपनियां PSL की टीवी और स्ट्रीमिंग पार्टनर थीं. ZEE ने हटाया पूरा पाकिस्तानी कंटेंटज़ी एंटरटेनमेंट एंटरप्राइजेस (Zee Entertainment Enterprises) ने भी पाकिस्तानी टीवी शो और वेब कंटेंट को ज़ी 5 और यूट्यूब चैनल ज़ी जिंदगी से हटा दिया है. पहले भी उरी हमले (2016) के बाद ज़ी ने ऐसा कदम उठाया था. इस बार कंपनी ने चुपचाप ही यह फैसला लिया है, लेकिन इसके पीछे राष्ट्रहित को प्राथमिकता दी जा रही है. भारत-पाकिस्तान एशिया कप मैच पर छाया संशयक्रिकेट की बात की जाए तो भारत ने पिछले कुछ सालों से पाकिस्तान से दूरी बना कर रखी है, केवल आईसीसी टूर्नामेंट में ही टीम इंडिया, पाकिस्तान के खिलाफ मैच खेलती है. पाकिस्तान में खेलना, भारतीयों ने लंबे समय से बंद कर रखा है.अब एशिया कप का भविष्य भी संदेह के घेरे में है. BCCI के उपाध्यक्ष राजीव शुक्ला ने कहा कि बोर्ड सरकार के निर्देशों का पालन करेगा. उन्होंने स्पष्ट किया कि भारत सरकार के रुख के अनुसार पाकिस्तान के साथ द्विपक्षीय मैच नहीं खेले जाते और यह नीति आगे भी जारी रहेगी.हालांकि ICC और ACC टूर्नामेंट में भारत को मजबूरन खेलना पड़ता है, लेकिन इस बार सरकार का सख्त रवैया टकराव की ओर संकेत कर रहा है. पाकिस्तानी अभिनेता की फिल्म को भी झटकामनोरंजन जगत ने भी पिछले कुछ वर्षों से पाकिस्तानी फिल्मों और कलाकारों से दूरी बना कर रखी है, हालांकि बीच-बीच में ये कसम टूट जाती है. पाकिस्तानी अभिनेता फवाद खान और वाणी कपूर की फिल्म ‘अबीर गुलाल’, जो 9 मई को रिलीज होने वाली थी, अब भारत में रिलीज़ नहीं होगी.द फेडरेशन ऑफ वेस्टर्न इंडिया सिने एम्प्लॉइज (FWICE) ने इस पर आपत्ति जताई है और महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (MNS) भी पहले से इसका विरोध कर रही थी. अब इस फिल्म की रिलीज पर पूरी तरह विराम लगता दिख रहा है.(अस्वीकरण: विशेषज्ञों द्वारा दी गई सिफारिशें, सुझाव, विचार और राय उनके अपने हैं. ये इकोनॉमिक टाइम्स हिन्दी के विचारों का प्रतिनिधित्व नहीं करते हैं)
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