ANI दूसरे चरण का मतदान 11 नवंबर को होना है. बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के पहले चरण की वोटिंग 6 नवंबर को ख़त्म हो गई.
चुनाव आयोग की ओर से जारी प्रेस नोट में बताया गया है कि पहले चरण में बिहार में कुल 64.66 प्रतिशत वोटिंग हुई है.
चुनाव आयोग के मुताबिक़ ये आंकड़ा 6 नवंबर की रात 8.15 बजे तक है. 1,570 प्रिसाइडिंग ऑफ़िसर्स की ओर से अभी और आंकड़े दिए जाना बाकी है.
आयोग के मुताबिक़ राज्य के 18 जिलों के 121 विधानसभा क्षेत्रों में हुए मतदान में कुल मतदाताओं की संख्या 3.75 करोड़ से अधिक है.
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चुनाव आयोग के अनुसार, छिटपुट घटनाओं के अलावा मतदान शांतिपूर्ण रहा है.
मतदान के दौरान बिहार के उप मुख्यमंत्री विजय कुमार सिन्हा ने आरोप लगाया कि लखीसराय के एक गांव में उनके काफ़िले पर हमला हुआ.
विजय कुमार सिन्हा लखीसराय से बीजेपी के उम्मीदवार भी हैं और उन्होंने मीडिया से कहा, "हमारे पोलिंग एजेंट को धमकी दी गई, वह डरा और सहमा हुआ है. जब हम गांव जाने लगें, तो मेरी गाड़ी को घेरकर पत्थर, चप्पल फेंका, हमला किया...राजद के गुंडों के ख़िलाफ़ प्रशासन कार्रवाई करे."
लखीसराय के डीएम मिथिलेश मिश्रा ने कहा, "इस घटना के लिए हमला शब्द बोलना बहुत उचित नहीं होगा." इसे लेकर विवाद भी हुआ और कांग्रेस ने बिहार की शासन व्यवस्था पर सवाल उठाए.
इससे पहले दिन में ही राष्ट्रीय जनता दल ने कुछ बूथों पर स्लो वोटिंग का आरोप लगाया जिसे चुनाव आयोग ने ख़ारिज़ करते हुए 'भ्रामक' बताया.
पहले चरण में कई हाईप्रोफ़ाइल सीटें थीं.
इनमें बिहार के दोनों उप मुख्यमंत्रियों- विजय सिन्हा और सम्राट चौधरी, विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव, खेसारी लाल, मैथिली ठाकुर, अभी जेल में बंद अनंत सिंह, सिवान के पूर्व सांसद शहाबुद्दीन के बेटे ओसामा शहाब, बिहार के ही एक अन्य बाहुबली माने जाने वाले मुन्ना शुक्ला की बेटी शिवानी शुक्ला का नाम प्रमुख है.
दूसरे चरण के वोट 11 नवंबर को डाले जाएंगे और 14 नवंबर को नतीजों का एलान होगा.
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Santosh Kumar/Hindustan Times via Getty Images 5 सितंबर 2025 को कार्यकर्ता संवाद कार्यक्रम में बिहार के सीएम नीतीश कुमार राज्य में 2020 के चुनाव के बाद एनडीए की सरकार बनी, लेकिन अगस्त 2022 में बीजेपी से रिश्ता तोड़ते हुए नीतीश कुमार ने महागठबंधन का दामन थाम लिया.
बीजेपी और जेडीयू के रिश्ते इतने तल्ख़ हो गए थे कि नीतीश कुमार ने ये बयान तक दिया कि वो मरना पसंद करेंगे लेकिन बीजेपी के साथ कभी नहीं जाएंगे.
वहीं, दूसरी तरफ़ केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने भी कहा कि नीतीश कुमार के लिए एनडीए के दरवाज़े हमेशा के लिए बंद हो गए हैं.
लेकिन जैसा कि राजनीति में कुछ भी अंतिम सत्य नहीं होता है, उसी क्रम में चीजें एक बार फिर बदल गईं.
2024 के लोकसभा चुनाव से पहले इंडिया गठबंधन तैयार करने की कोशिश में जुटे चेहरों में नीतीश कुमार अहम नेता माने जा रहे थे.
लेकिन जनवरी, 2024 में वो एक बार फिर एनडीए में शामिल हो गए और आरजेडी से अपनी राहें अलग कर लीं.
साल 2015 का विधानसभा चुनाव जेडीयू और राष्ट्रीय जनता दल ने मिलकर लड़ा था और बहुमत हासिल कर सरकार बनाई थी. तब ये गठजोड़ 2017 में टूट गया था.
बिहार विधानसभा की स्थिति क्या है?बिहार में विधानसभा की कुल 243 सीटें हैं और सरकार बनाने के लिए किसी दल या गठबंधन के पास 122 सीटें होना ज़रूरी है.
बिहार में फ़िलहाल जेडीयू और भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के घटक दलों वाली एनडीए सरकार है और आरजेडी के तेजस्वी यादव बिहार विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष हैं.
बिहार विधानसभा में अभी बीजेपी के 80 विधायक हैं, आरजेडी के 77, जेडी(यू) के 45 और कांग्रेस के 19 विधायक हैं.
कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ़ इंडिया (मार्क्ससिस्ट-लेनिनिस्ट) (लिबरेशन) के 11, हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा (सेक्युलर) के 4, कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ़ इंडिया (मार्क्सवादी) के 2, कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ़ इंडिया के 2, ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन के 1 और 2 निर्दलीय विधायक हैं.
कौन-कौन से गठबंधन मैदान में हैं?राज्य में इस बार भी अहम मुक़ाबला एनडीए बनाम महागठबंधन के बीच माना जा रहा है.
एनडीए में जेडीयू, बीजेपी, एलजेपी (आर), जीतनराम मांझी की हम (सेक्युलर) और उपेंद्र कुशवाहा की राष्ट्रीय लोक मोर्चा जैसे दल हैं.
वहीं महागठबंधन में आरजेडी, कांग्रेस, सीपीआई, सीपीएम, सीपीआई (माले), विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी), जेएमएम और राष्ट्रीय एलजेपी शामिल हैं.
असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम इन दोनों गठबंधन में से किसी का भी हिस्सा नहीं है. 2020 के चुनाव में उनकी पार्टी पांच सीटों पर चुनाव जीतने में सफल रही थी, लेकिन बाद में उनकी पार्टी के चार विधायक आरजेडी में शामिल हो गए थे.
अभी तक न तो एनडीए ने और न ही महागठबंधन ने सीट बंटवारे के आंकड़े जारी किए हैं. दोनों प्रमुख गठबंधनों में सीट शेयरिंग पर पेच फंसता दिख रहा है.
सीट बंटवारे को लेकर कई दौर की बातचीत हो चुकी है, लेकिन अभी तक कोई ठोस नतीजा नहीं निकला है. दोनों गठबंधनों में शामिल छोटे दल 'सम्मानजनक सीटों' के लिए अपना दावा पेश कर रहे हैं.
नीतीश कुमार की ख़राब सेहत की ख़बरों, जेडीयू में उत्तराधिकारी पर अटकलों और प्रशांत किशोर की एंट्री और रह-रह कर चिराग पासवान के चुनाव लड़ने की ख़बरों से चुनाव और दिलचस्प होता जा रहा है.
नीतीश कुमार से अलग होकर अपनी पार्टी बनाने वाले प्रशांत किशोर से बीबीसी ने एक इंटरव्यू में जब ये सवाल किया था कि उनको कितनी सीटों पर जीत का भरोसा है तो उनका कहना था कि या तो उनकी पार्टी अर्श पर होगी या फर्श पर.
उनकी पार्टी सभी 243 सीटों पर अपना उम्मीदवार उतारेगी और वो बेरोजगारी, पलायन और शिक्षा के मुद्दे पर चुनाव लड़ेगी.
इसके अलावा बिहार में एक और नई पार्टी का उदय हुआ है. तीन महीने पहले आरजेडी अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव ने अपने बड़े बेटे तेज प्रताप यादव को उनकी एक फ़ेसबुक पोस्ट के बाद पार्टी से निकाल दिया था. अब उन्होंने अपनी एक नई पार्टी बना ली और इसका नाम रखा है जनशक्ति जनता दल.
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Santosh Kumar/Hindustan Times via Getty Images पटना में महागठबंधन ने अति पिछड़ा न्याय संकल्प जारी किया बिहार विधानसभा चुनाव में एनडीए यह कहकर मैदान में उतर रही है कि उसने राज्य का हर तरह से विकास किया है और युवाओं को रोजगार देने के साथ-साथ लड़कियों-महिलाओं के लिए कई योजनाएं शुरू की हैं.
वहीं, महागठबंधन रोजगार, पेपर लीक समेत एसआईआर को लेकर एनडीए को घेर रही है और युवाओं से सरकारी नौकरियां तथा रोजगार सृजन समेत कई वादे कर रही है.
राज्य में तेजस्वी यादव के साथ 'वोट अधिकार यात्रा' करते हुए राहुल गांधी ने लगातार एसआईआर और 'वोट चोरी' का मुद्दा उठाया.
हालांकि, बीजेपी और जेडीयू इसे विपक्षी दलों की हताशा वाली राजनीति बता रही है और उनका आरोप है कि अगर महागठबंधन की सरकार बनी तो राज्य का विकास रुक जाएगा.
अब तक कितने विधानसभा चुनाव हो चुके हैं?1952 से बिहार में विधानसभा चुनाव की शुरुआत हुई थी. इसके बाद से 2020 तक बिहार में 17 बार विधानसभा चुनाव हो चुके हैं.
साल 2005 की फ़रवरी में हुए चुनाव में सरकार नहीं बन पाने के कारण अक्तूबर में फिर से चुनाव आयोजित करने पड़े थे.
आज़ादी के बाद पहले चुनाव में क्या हुआ था?
http://postagestamps.gov.in/ साल 2016 में भारत सरकार ने बिहार के पहले मुख्यमंत्री श्री कृष्ण सिन्हा की याद में एक डाक टिकट जारी किया था आज़ादी के बाद पहली बार हुए 1951 के चुनाव में कई पार्टियों ने भाग लिया, लेकिन कांग्रेस ही उस समय सबसे बड़ी पार्टी थी.
इन चुनाव में कांग्रेस को 322 में से 239 सीटें मिली थीं.
1957 के चुनाव में भी कांग्रेस ही सबसे बड़ी पार्टी बनी. उसे 312 में से 210 सीटें मिली थीं.
1962 के चुनाव में कांग्रेस को 318 में से 185 सीटों के साथ बहुमत हासिल हुआ था. उसके बाद स्वतंत्र पार्टी को सबसे ज़्यादा 50 सीटें मिली थीं.
श्री कृष्ण सिन्हा बिहार के पहले मुख्यमंत्री बने थे.
बीबीसी के लिए कलेक्टिव न्यूज़रूम की ओर से प्रकाशित
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