अमेरिका ने बांग्लादेश से आने वाले हर सामान पर 35 फ़ीसदी टैरिफ़ लगाने की घोषणा की है. यह टैरिफ एक अगस्त से लागू हो जाएगा.
इस टैरिफ का मतलब है कि बांग्लादेश के निर्यातक जो भी सामान अमेरिका में बेचेंगे उन पर 35 प्रतिशत आयात शुल्क लगेगा.
बांग्लादेश पर 35 प्रतिशत टैरिफ की चोट सबसे ज़्यादा कपड़ों के निर्यात पर पड़ेगी. बांग्लादेश के कुल निर्यात में रेडीमेड गारमेंट्स की हिस्सेदारी 80 प्रतिशत से ज़्यादा है. बांग्लादेश का पिछले साल कुल निर्यात 48.28 अरब डॉलर का था और इसमें रेडीमेड गारमेंट्स का हिस्सा 38.48 अरब डॉलर था.
बांग्लादेश अपने कुल कपड़ा निर्यात का क़रीब 20 प्रतिशत निर्यात केवल अमेरिका में करता है. एक्सपोर्ट प्रमोशन ब्यूरो के मुताबिक़ बांग्लादेश ने वित्तीय वर्ष 2023-24 में 7.60 अरब डॉलर की क़ीमत के कपड़े का निर्यात अमेरिका में किया था.
बांग्लादेश के मीडिया में ट्रंप के इस फ़ैसले को लेकर गंभीर चिंता जताई जा रही है कि यह अर्थव्यवस्था की नींव हिला सकता है. भारत से जारी तनाव के कारण बांग्लादेश की अर्थव्यवस्था पहले से ही कई मोर्चों पर जूझ रही है.
अमेरिकी टैरिफ़ की घोषणा के बाद बांग्लादेश की न्यूज़ वेबसाइट द बिज़नेस स्टैंडर्ड ने इसके असर का आकलन करते हुए लिखा है, ''जब एक बांग्लादेशी निर्यातक एक 10 डॉलर की एक पोलो शर्ट अमेरिका भेजता है तो अमेरिकी ख़रीदार को यह 11.16 डॉलर में मिलती है क्योंकि अमेरिका 16 प्रतिशत आयात शुल्क लगाता है. लेकिन एक अगस्त से अमेरिका अगर 35 प्रतिशत टैरिफ लगाता है तो इसी शर्ट की क़ीमत 15.10 डॉलर हो जाएगी. यानी इस शर्ट की क़ीमत में 51 फ़ीसदी की बढ़ोतरी होगी.''
कपड़ों के निर्यात में बांग्लादेश की प्रतिस्पर्धा वियतनाम से है. वियतनाम पर अमेरिका ने 20 प्रतिशत टैरिफ लगाने की घोषणा की है. यानी वियतनाम से जो कपड़े अमेरिकी मार्केट में जाएंगे, उन पर बांग्लादेश की तुलना में 15 प्रतिशत कम ड्यूटी लगेगी.
बांग्लादेश के थिंक टैंक सेंटर फोर पॉलिसी डायलॉग की कार्यकारी निदेशक डॉ फ़हमिदा ख़ातून ने बीबीसी हिन्दी से कहा, ''जब 35 फ़ीसदी टैरिफ बांग्लादेश पर लग जाएगा तो वैश्विक बाज़ार की प्रतिस्पर्धा में बांग्लादेश के लिए टिकना मुश्किल हो जाएगा. टैरिफ के इस पहाड़ तले निर्यात करना बहुत ही चुनौतीपूर्ण होगा.''
डॉ फ़हमिदा ख़ातून ने कहा, ''वियतनाम की तुलना में 15 प्रतिशत ज़्यादा ड्यूटी पर हमसे कपड़े कौन ख़रीदेगा? सबसे बड़ा डर यही है कि ख़रीदार कहीं और चले जाएंगे. वियतनाम हमारा पहले से ही एक मज़बूत प्रतिद्वंद्वी है. अमेरिका में हम कपड़ों के निर्यात पर पहले से ही 16 प्रतिशत औसत ड्यूटी दे रहे हैं और अब अतिरिक्त 35 फ़ीसदी लगाने की घोषणा हुई है. अगर कोई डील नहीं होती है तो हमें एक अगस्त से 50 प्रतिशत टैरिफ देना होगा.''
2024 में बांग्लादेश और अमेरिका के बीच द्विपक्षीय व्यापार 10.6 अरब डॉलर का हुआ था. इनमें से बांग्लादेश का अमेरिका में निर्यात 8.4 अरब डॉलर है और अमेरिका से आयात 2.2 अरब डॉलर का है. बांग्लादेश का ट्रेड सरप्लस 6.2 अरब डॉलर का है. अमेरिका इसी व्यापार घाटे को पाटने के लिए दुनिया भर के देशों पर टैरिफ लगाने की घोषणा कर रहा है.
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वर्ल्ड ट्रेड ऑर्गेनाइज़ेशन (डब्ल्यूटीओ) के अनुसार, 2024 में बांग्लादेश दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा कपड़ा निर्यातक देश था. पहले नंबर पर चीन था.
बांग्लादेश ने पिछले साल 38.48 अरब डॉलर का कपड़ा निर्यात किया था. कपड़े के कुल वैश्विक बाज़ार में बांग्लादेश की हिस्सेदारी 6.90 फ़ीसदी थी. डब्ल्यूटीओ के डेटा के अनुसार, 2024 में चीन ने 165.24 अरब डॉलर के कपड़े का निर्यात किया था और वैश्विक बाज़ार में उसकी हिस्सेदारी 29.64 प्रतिशत थी.
2023 की तुलना में बांग्लादेश का निर्यात 2024 में 0.21 फ़ीसदी बढ़ा और चीन का 0.20 प्रतिशत. वहीं पिछले साल वियतनाम दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा कपड़ा निर्यातक देश था. वियतनाम ने पिछले साल 33.94 अरब डॉलर का कपड़ा निर्यात किया था. 2023 की तुलना में वियतनाम के कपड़ा निर्यात में 9.34 फ़ीसदी की बढ़ोतरी हुई थी.

डॉ फ़हमिदा ख़ातून कहती हैं, ''रेडीमेड गारमेंट्स इंडस्ट्री जब प्रभावित होती है तो इसका असर बांग्लादेश की पूरी अर्थव्यवस्था पड़ता है. इस इंडस्ट्री से बांग्लादेश में क़रीब 40 लाख लोगों को रोज़गार मिला हुआ है. कपड़ा उद्योग पर असर पड़ने का मतलब है कि इंश्योरेंस, ट्रांसपोर्ट और इंफ्रास्ट्रक्चर सेक्टर भी बुरी तरह से प्रभावित होंगे.''
''बांग्लादेश को रेडीमेड गारमेंट्स इंडस्ट्री पर निर्भरता कम करनी होगी. हमें लेदर, फिशिंग और फार्मा इंडस्ट्री पर भी ध्यान देना होगा. इसके अलावा हमें अमेरिका के बाज़ार पर निर्भरता भी कम करनी होगी. हमें लातिन अमेरिका के बाज़ार में विकल्प तलाशने होंगे.''
ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव के फाउंडर अजय श्रीवास्तव भी मानते हैं कि ट्रंप के टैरिफ से बांग्लादेश की अर्थव्यवस्था की नींव हिल सकती है.
अजय श्रीवास्तव ने बीबीसी हिन्दी से कहा, ''चीन, वियतनाम और बांग्लादेश अमेरिका में कपड़े के तीन बड़े निर्यातक देश हैं. अमेरिका में कपड़े पर औसत टैरिफ़ छह फ़ीसदी से 20 फ़ीसदी के रेंज में है. वियतनाम और अमेरिका का पहले से ही एक फ्री ट्रेड एग्रीमेंट था. ऐसे में अमेरिका वियतनाम पर ज़ीरो टैरिफ लगाता था. यानी वियतनाम के सारे कपड़े ज़ीरो टैरिफ़ पर अमेरिका में जा रहे थे. अब वियतनाम को भी ज़ीरो की जगह 20 फ़ीसदी टैरिफ़ देना होगा.''
अजय श्रीवास्तव कहते हैं, ''बांग्लादेश और अमेरिका के बीच कोई पुरानी ट्रेड डील नहीं थी. ऐसे में औसत एमएफ़न (मोस्ट फ़ेवर्ड नेशन) टैरिफ जो 15 प्रतिशत था, वो बांग्लादेश को देना पड़ेगा. उसके अलावा अगर बांग्लादेश पर 35 प्रतिशत टैरिफ लगता है तो उसके लिए बड़ा झटका होगा. अगर अमेरिका 35 प्रतिशत को घटाकर 10 या 20 प्रतिशत भी करता है, तब भी वियतनाम की तुलना में अमेरिकी बाज़ार में बांग्लादेश का कपड़ा महंगा बिकेगा क्योंकि 15 प्रतिशत बांग्लादेश पर टैरिफ पहले से ही है. लेकिन चीन की तुलना में शायद बांग्लादेश की स्थिति ज़्यादा अच्छी रहे. वियतनाम की तुलना में बांग्लादेश को देखेंगे तो उसका निश्चित तौर पर नुक़सान होगा.''
अजय श्रीवास्तव कहते हैं, ''अमेरिका बांग्लादेश को ऐसे छोड़ेगा नहीं. वियतनाम ने अपना बाज़ार पूरी तरह से अमेरिका के लिए खोल दिया है. वियतनाम को मल्टीनेशनल कंपनियां जो भी कहती हैं, उसे करता है. वियतनाम अपनी घरेलू अर्थव्यवस्था का ध्यान रखे बिना सब कुछ खोल देता है. बांग्लादेश के लिए ऐसा करना मुश्किल होगा. लेकिन दोनों देशों का कॉलर अमेरिका दूसरी तरह से भी पकड़ रहा है.''
''अमेरिका ने वियतनाम से कहा है कि अभी तो 20 प्रतिशत टैरिफ है लेकिन इनपुट्स में चीनी माल ज़्यादा इस्तेमाल किया तो 20 के बदले 40 प्रतिशत टैरिफ हो जाएगा. बांग्लादेश में जो कपड़े बनते हैं, उसका अधिकतर फैब्रिक चीन से आता है. अमेरिका तो ऐसे मानेगा नहीं. अमेरिका कहेगा कि या तो फैब्रिक हमसे लो या और ज़्यादा टैरिफ का सामना करो. यानी बांग्लादेश के लिए बहुत ही मुश्किल राह है.''
मूडी एनालिटिक्स में एशिया-पैसिफिक इकनॉमिक्स की निदेशक कैटरीना ईल मानती हैं कि ट्रंप का टैरिफ बांग्लादेश के लिए विनाशकारी साबित होगा.
ईल ने निक्केई एशियासे कहा, ''अमेरिका बांग्लादेश के लिए सबसे बड़ा निर्यात बाज़ार है. यहाँ बांग्लादेश का क़रीब 20 फ़ीसदी रेडीमेड गारमेंट्स निर्यात होता है. मूडी का अनुमान है कि बांग्लादेश की जीडीपी ग्रोथ इस साल चार प्रतिशत रहेगी और अगले साल 5.4 प्रतिशत. लेकिन बांग्लादेश के निर्यात को अमेरिका में 35 प्रतिशत टैरिफ का सामना करना पड़ेगा तो जीडीपी ग्रोथ का यह अनुमान ग़लत साबित होगा.''
पिछले साल अमेरिका का वियतनाम से व्यापार घाटा $123.5 अरब डॉलर का था जबकि बांग्लादेश से अमेरिका का व्यापार घाटा $6.2 अरब डॉलर का था. ऐसे में यह भी सवाल उठ रहा है कि अमेरिका वियतनाम से ज़्यादा व्यापार घाटा होने के बावजूद नरमी दिखा रहा है जबकि बांग्लादेश से मामूली व्यापार घाटा है, तब भी सख़्ती दिखा रहा है. अजय श्रीवास्तव कहते हैं कि बांग्लादेश वियतनाम की बराबरी नहीं कर सकता है क्योंकि वियतनाम का ऐसा कोई सेक्टर नहीं है जो अमेरिका के लिए खुला नहीं है.
दिल्ली स्थित जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी में अर्थशास्त्र के प्रोफ़ेसर रहे अरुण कुमार कहते हैं कि अमेरिका बांग्लादेश से बराबरी कर रहा है, इससे ज़्यादा शर्मनाक क्या हो सकता है.
प्रोफ़ेसर अरुण कुमार कहते हैं, ''ट्रंप चाहते हैं कि सारी इंडस्ट्री अमेरिका में शिफ़्ट हो जाए लेकिन यह संभव नहीं है. अमेरिका में न्यूनतम मज़दूरी प्रति घंटा सात से आठ डॉलर है. ऑटोमोबिल सेक्टर में तो यह 13 डॉलर तक हो जाती है. भारत और बांग्लादेश में तो लोग इतना पैसे महीने में भी नहीं कमा पाते हैं. क्या मल्टीनेशनल कंपनियां अमेरिका में इतनी लागत लगाने के लिए तैयार हैं? अगर तैयार हैं तो महंगाई बढ़ेगी और महंगाई बढ़ेगी तो वैश्विक मंदी आएगी. ट्रंप जिस रास्ते पर बढ़ रहे हैं, वो डराने और धमकाने वाली है. मुझे नहीं लगता है कि लंबी अवधि में यह काम करेगा.''
1984 में बांग्लादेश का रेडीमेड गारमेंट्स निर्यात महज 3.2 करोड़ डॉलर का था जो पिछले साल 38 अरब डॉलर पार कर गया. बांग्लादेश की रेडीमेड गारमेंट्स इंडस्ट्री फॉरेक्स का मुख्य ज़रिया है. अगर इस इंडस्ट्री पर चोट पड़ती है तो बांग्लादेश बुरी तरह से प्रभावित होगा.
बीबीसी के लिए कलेक्टिव न्यूज़रूम की ओर से प्रकाशित
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