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हनुमानगढ़ में एक बार फिर 1995 का इतिहास दोहराने की तैयारी में घग्गर नदी, पाकिस्तान सीमा की ओर तेजी से बढ़ रहा जलस्तर

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घग्घर नदी क्षेत्र में पानी का बहाव तेज हो गया है। 6 जुलाई को घग्घर के नाले में 3000 क्यूसेक पानी बह रहा था। इस प्रकार उक्त पानी शाम 5 बजे तक कालीबंगा-पीलीबंगा के पास पहुंच गया। यदि पानी इसी गति से बहता रहा तो 8 से 10 दिन में पानी पाकिस्तान सीमा तक पहुंच जाएगा। राजस्थान सीमा में हनुमानगढ़ जिले के टिब्बी से पानी बहता है। यहां से अनूपगढ़ के पास पाकिस्तान सीमा 150 किलोमीटर दूर है। इस प्रकार पानी को पाकिस्तान सीमा तक पहुंचने में 8 से 10 दिन का समय लगता है। रविवार को घग्घर के गुलाचिक्का हैड में 4600 क्यूसेक, खनौरी में 2500, चांदपुर में 2350, ओटू हैड पर 1300, घग्घर साइफन में 3400 तथा नाले में 3000 क्यूसेक पानी बह रहा था। 

छोटे पुल को छूकर निकल रहा है पानी
कस्बे के निकट भद्रकाली मंदिर के सामने घग्गर नदी पर बने कॉजवे (छोटे पुल) को छूकर पानी निकलने लगा है। नदी में काफी कीचड़ भी आ रहा है। ऐसे में मशीनें लगाकर उसे निकालने का काम किया जा रहा है। इस बीच मंदिर के सामने बने कॉजवे से श्रद्धालुओं की आवाजाही जारी है। जबकि कॉजवे की रेलिंग आदि टूट चुकी है। ऐसे में अगर कोई यहां से पैदल या वाहन से गुजरता है तो दुर्घटना की आशंका बनी रहती है। प्रशासन को कॉजवे के दोनों ओर सुरक्षा के इंतजाम करने चाहिए। कॉजवे के दोनों ओर बैरिकेड्स लगाकर यहां से आवाजाही बंद करनी चाहिए।

अभी और बारिश की संभावना
नदी के जलग्रहण क्षेत्रों में बारिश की संभावना बनी हुई है। ऐसे में आवक की स्थिति और बढ़ सकती है। ऐसे में घग्गर नदी के बांधों को मजबूत करना बेहद जरूरी है। जहां भी अवैध बांधों की शिकायतें हैं, विभाग को वहां से पानी निकालने का रास्ता तैयार करना होगा। जिससे नदी में पानी का बहाव प्राकृतिक रूप से जारी रहे।

पहले भी प्रभावित हो चुका है शहर
हनुमानगढ़ शहर पिछले सालों में बाढ़ से प्रभावित हो चुका है। टाउन-जंक्शन रोड के बीच घग्गर नदी का बांध वर्ष 1995 में टूट गया था। इससे शहर में हर जगह पानी फैल गया था। इससे नाले की तलहटी में पानी आते ही लोगों में बेचैनी होने लगती है।

धान की फसल को होगा फायदा
फिलहाल घग्गर नदी में पानी की आवक होने से धान उत्पादक किसानों के चेहरे खिल उठे हैं। धान उत्पादक किसानों को मांग के अनुसार खेतों में सिंचाई का पानी मिलने लगा है। किसान पंपिंग कर खेतों तक पानी पहुंचा रहे हैं। इससे भविष्य में धान की पैदावार काफी अच्छी होने की उम्मीद है।

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