राजस्थान विधानसभा के मानसून सत्र में बुधवार को 'राजस्थान कोचिंग सेंटर नियंत्रण एवं विनियमन विधेयक-2025' पर तीखी बहस हुई। विपक्ष ने सरकार पर कोचिंग सेंटरों को संरक्षण देने का आरोप लगाया और इस विधेयक को युवाओं और शिक्षा व्यवस्था के खिलाफ बताया। हालाँकि, सदन में कोचिंग सेंटर नियंत्रण एवं विनियमन विधेयक 2025 पर चर्चा के दौरान कांग्रेस के भीतर ही मतभेद देखने को मिले। कुछ कांग्रेस नेता इस विधेयक को बच्चों के खिलाफ बता रहे हैं, तो कुछ इसे ज़रूरत बता रहे हैं।
'कोचिंग संस्थानों को विधेयक से फ़ायदा'
नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली ने इस विधेयक को बच्चों के हितों के ख़िलाफ़ बताते हुए सरकार पर हमला बोला। उन्होंने कहा कि सरकार का उद्देश्य बच्चों की चिंता करना नहीं, बल्कि कोचिंग संस्थानों को फ़ायदा पहुँचाना है। जूली ने आरोप लगाया कि विधेयक में जुर्माने की राशि कम कर दी गई है और कोचिंग सेंटरों में बच्चों की संख्या बढ़ा दी गई है। टीकाराम जूली का कहना है कि राजस्थान सरकार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार द्वारा 16 साल से कम उम्र के बच्चों को कोचिंग भेजने पर लगाए गए प्रतिबंध का पालन नहीं कर रही है।
'यह विधेयक समय की माँग है'
जूली ने माँग की कि विधेयक को संशोधन के लिए फिर से प्रवर समिति के पास भेजा जाए। दूसरी ओर, वरिष्ठ कांग्रेस विधायक और प्रवर समिति के सदस्य राजेंद्र पारीक ने जूली के रुख से अलग रुख अपनाते हुए विधेयक का समर्थन किया। पारीक ने कहा कि यह विधेयक समय की माँग है। उन्होंने तर्क दिया कि अगर राजस्थान में 16 साल का नियम लागू हो गया, तो बच्चे उन राज्यों में पढ़ने जाएँगे जहाँ ऐसा कोई नियम नहीं है। पारीक ने यह भी कहा कि बच्चों में अवसाद का कारण पढ़ाई का दबाव नहीं, बल्कि परिवारों का अकेलापन और परंपराओं का टूटना है। राजेंद्र पारीक ने यह भी कहा कि कोचिंग सेंटरों के आने से सीकर और कोटा जैसे शहरों में शिक्षा का एक बड़ा अवसर मिला है। पहले बच्चों को इसके लिए दिल्ली जाना पड़ता था।
'जूली को कांग्रेस विधायक का जवाब'
इस बीच, विधानसभा में संसदीय कार्य मंत्री जोगाराम पटेल ने कहा कि कांग्रेस विधायक राजेंद्र पारीक ने खुद नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली के बयान का जवाब दिया है। पारीक ने कहा कि नेता प्रतिपक्ष ने अपनी पीड़ा व्यक्त की है, वहीं उन्होंने अपना आकलन और अनुभव भी साझा किया है।
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