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हरियाली, झरने और कोहरे से ढकी राजस्थान की ये जगह कहलाती है 'राजस्थान का कश्मीर', जानिए कैसे पहुंचे यहाँ तक ?

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मेवाड़ का कश्मीर कहे जाने वाले गोरमघाट में मानसून में एक बार फिर पर्यटकों की भीड़ उमड़ पड़ी है। हाल ही में हुई बारिश ने मगरा क्षेत्र को हरियाली की चादर ओढ़ा दी है। छुट्टी का दिन होने के कारण रविवार को बड़ी संख्या में पर्यटक मारवाड़-कामलीघाट ट्रेन में सवार होकर गोरमघाट की सैर के लिए रवाना हुए। सुबह से ही मारवाड़ और फुलाद रेलवे स्टेशनों पर पर्यटकों की भीड़ उमड़ पड़ी। जैसे ही ट्रेन फुलाद स्टेशन पर पहुंची, सैकड़ों पर्यटक दौड़कर ट्रेन में चढ़ गए। डिब्बे खचाखच भर गए। आलम यह था कि पैर रखने तक की जगह नहीं बची।

ट्रेन से मनमोहक नजारा
गोरमघाट पहुंचते ही पर्यटकों ने झरनों में नहाकर बारिश का आनंद लिया। उन्होंने खड्डों में छलांग लगाई और हरियाली के बीच सेल्फी ली। उन्होंने खूबसूरत नजारों को कैमरे में कैद किया। कुछ लोग जोगमंडी मंदिर भी पहुंचे और दर्शन कर लौट गए। वापसी में भी ट्रेन में भीड़ उमड़ी रही। स्टेशन पर ट्रेन रुकते ही सैकड़ों लोग दौड़ पड़े और किसी तरह डिब्बों में जगह बनाई। कुछ यात्रियों को वापसी में गोरमघाट से सड़क मार्ग लेना पड़ा। वे निजी वाहनों से काछबली होते हुए लौटे।

किसी हिल स्टेशन से कम नहीं हैं मेवाड़ के पहाड़

यहाँ, कई पर्यटक ट्रेन पकड़ने के लिए कामलीघाट स्टेशन पहुँचे, लेकिन वहाँ से बहुत कम लोग ही ट्रेन में चढ़ पाए। कई परिवार सीधे सड़क मार्ग से गोरमघाट, भीलबेरी, गौरीधाम और सतपालिया की ओर रवाना हो गए। उन्होंने झरनों में नहाकर मौसम का आनंद लिया। गोरमघाट की हरियाली और झरनों ने एक बार फिर साबित कर दिया है कि बारिश के मौसम में मेवाड़ के पहाड़ किसी हिल स्टेशन से कम नहीं हैं। अब ट्रेन के साथ-साथ पर्यटक सड़क मार्ग से भी बड़ी संख्या में गोरमघाट पहुँच रहे हैं। कुछ बाइक से, तो कुछ परिवार कार से। बारिश और हरियाली का यह जादू अगस्त-सितंबर में भी पर्यटकों को यहाँ खींचता रहेगा। गोरमघाट की वादियों में शांति और रोमांच का यह मिला-जुला मौसम इसकी पहचान है।

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