राजधानी समेत पूरे प्रदेश में सप्लाई की जा रही एक नामी फार्मा कंपनी की दवाई को लेकर बड़ी कार्रवाई सामने आई है। ड्रग कंट्रोल विभाग ने शुक्रवार को जारी अपनी रिपोर्ट में वाईएल फार्मा कंपनी की जुकाम और एलर्जी में दी जाने वाली दवाई को अमानक (Substandard) घोषित किया है। विभाग ने इस कंपनी की अन्य दवाओं के सैंपल भी लेकर जांच के आदेश दिए हैं।
ड्रग कंट्रोलर फर्स्ट द्वारा जारी आदेशों के मुताबिक, कंपनी की दवाई “WINCET L”, जो हिमाचल प्रदेश के सोलन स्थित प्लांट में तैयार होती है, की जांच के दौरान यह पाया गया कि दवाई में बताए गए सॉल्ट लेवोसेट्रीजीन और डाइहाइड्रोक्लोराइड पर्याप्त मात्रा में मौजूद नहीं थे। यानी दवाई में बताई गई सक्रिय दवा-सामग्री (Active Ingredients) मानक स्तर से काफी कम पाई गई।
रिपोर्ट के अनुसार, जब विभाग की टीम ने मार्केट से सैंपल एकत्रित कर जांच के लिए लैब भेजे, तो परीक्षण में दवाई गुणवत्ता के मानकों पर खरी नहीं उतरी। दवाई में मुख्य तत्वों की कमी के चलते इसे अमानक घोषित किया गया। यह दवाई जयपुर सहित राजस्थान के कई शहरों में उपलब्ध है और बड़े पैमाने पर बिक्री में है।
ड्रग कंट्रोल विभाग ने इसे गंभीर मामला मानते हुए कंपनी के अन्य उत्पादों की भी जांच कराने के निर्देश दिए हैं। विभाग के अधिकारियों का कहना है कि उपभोक्ताओं की सुरक्षा सर्वोपरि है और किसी भी स्थिति में निम्न गुणवत्ता की दवाई को बाजार में रहने नहीं दिया जाएगा। जांच रिपोर्ट आने तक संबंधित बैच की सप्लाई पर निगरानी रखी जा रही है।
विभागीय सूत्रों के अनुसार, अगर आगामी जांच में भी इसी तरह की खामियां पाई जाती हैं, तो कंपनी के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। इसमें उत्पादन लाइसेंस निलंबित करना, आपराधिक मामला दर्ज करना और बाजार से दवाई की रिकॉल प्रक्रिया शुरू करना शामिल हो सकता है।
दूसरी ओर, फार्मा उद्योग से जुड़े विशेषज्ञों का कहना है कि अमानक दवाई का बाजार में रहना लोगों के स्वास्थ्य के लिए गंभीर खतरा बन सकता है। एलर्जी और जुकाम जैसी आम बीमारियों में इस्तेमाल होने वाली ऐसी दवाई से मरीजों को अपेक्षित राहत नहीं मिलती, बल्कि शरीर में दवा-प्रतिरोध (Drug Resistance) बढ़ने का खतरा भी रहता है।
फिलहाल, ड्रग कंट्रोल विभाग ने जनता से अपील की है कि यदि किसी मेडिकल स्टोर पर WINCET L नाम की यह दवाई उपलब्ध हो, तो उसकी बैच संख्या जांचें और संदिग्ध लगने पर विभाग को सूचित करें।
इस पूरे मामले ने एक बार फिर दवा उद्योग में गुणवत्ता नियंत्रण की स्थिति पर सवाल खड़े कर दिए हैं। अब सभी की निगाहें ड्रग कंट्रोल विभाग की अगली कार्रवाई पर टिकी हैं कि वाईएल फार्मा के खिलाफ आगे क्या कदम उठाए जाएंगे।
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