राजस्थान के ब्यावर विधायक शंकर सिंह रावत की बेटी कंचन चौहान पर फर्जी विकलांगता प्रमाण पत्र बनवाकर नायब तहसीलदार के पद पर नियुक्ति पाने का गंभीर आरोप सामने आया है। मामले की शिकायत सीधे मुख्यमंत्री से की गई है। बताया जा रहा है कि कंचन चौहान ने राजस्थान लोक सेवा आयोग की परीक्षा में विशेष योग्यता श्रेणी में स्थान प्राप्त किया और उसी आधार पर राजस्व विभाग में नायब तहसीलदार के पद पर नियुक्ति पाई। शिकायतकर्ता फनीश ने पूरे मामले की उच्चस्तरीय जांच कराने की मांग की है। बताया जा रहा है कि शिकायतकर्ता उनके करीबी हैं।
प्रमाण पत्र की जांच को लेकर राजनीतिक बवाल
जानकारी के अनुसार, फर्जी विकलांगता प्रमाण पत्र बनवाने का आरोप लगते ही मामले ने तूल पकड़ लिया है। प्रशासनिक सूत्रों के अनुसार, एक जांच दल गठित कर सभी दस्तावेजों की जांच की जा रही है। खासकर राजस्व मंडल अजमेर से जुड़े रिकॉर्ड खंगाले जा रहे हैं। विपक्षी दलों ने भी इस मामले पर सवाल उठाए हैं और सरकार से सख्त कार्रवाई की मांग की है। वहीं, शिकायतकर्ताओं का कहना है कि प्रमाण पत्र पर मेडिकल बोर्ड की मुहर और हस्ताक्षर संदिग्ध बताए जा रहे हैं।
राजनीतिक दबाव और पारदर्शिता पर उठे सवाल
इस पूरे घटनाक्रम ने राजनीतिक हलचल तेज कर दी है। सवाल उठ रहे हैं कि क्या रसूखदार परिवारों के दबाव में भर्ती प्रक्रिया की पारदर्शिता से समझौता किया गया है। आरोप है कि कंचन चौहान ने 2024 की परीक्षा में 40 प्रतिशत से ज़्यादा विकलांगता दिखाकर विशेष कोटे का लाभ उठाया, जबकि हकीकत इससे अलग बताई जा रही है। अब देखना यह है कि सरकार और संबंधित विभाग इस संवेदनशील मुद्दे पर क्या कार्रवाई करते हैं, क्योंकि यह मामला सिर्फ़ एक व्यक्ति की नियुक्ति तक सीमित नहीं है, बल्कि भर्ती प्रक्रिया की विश्वसनीयता पर भी इसका सीधा असर पड़ता है।
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